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Mahapran vyanjan kya hai ? महाप्राण व्यंजन क्या है ?


Sunday 13 June 2021 Premchand Hansda
Mahapran vyanjan kya hai ? महाप्राण व्यंजन क्या है ?

दोस्तों क्या आप हिंदी व्याकरण के महाप्राण व्यंजन के बारे में जानना चाहते हैं यह महाप्राण व्यंजन क्या है ? अल्प्राण व्यंजन क्या है ? इन दोनों व्यंजनों में क्या क्या अंतर है जानना चाहते हैं तो नीचे पूरे आर्टिकल को पढ़िए आपको अच्छे से समझ में आ जाएगा कि महाप्राण व्यंजन और अल्प्राण व्यंजन क्या है ? और किस किसे कहते हैं ? महाप्राण व्यंजन , mahapran vyanjan kise kahate hain ? mahapran , mahapran vyanjan hai ? और साथ ही साथ हम भाषा विज्ञान और स्वर वर्ण व्यंजन वर्ण के बारे में भी इस आर्टिकल में जानेंगे|

क्योंकि बहुत किसी को यह दोनों व्यंजनों पर बहुत सारी परेशानियां का सामना करना पड़ता है और अच्छे से नहीं समझ पाते हैं । परंतु आप लोग यह आर्टिकल को पढ़कर अच्छे से समझ जाएंगे कि यह दोनों व्यंजन क्या है तो चलिए शुरू करते हैं आप लोग पूरा टिकल को पढ़िए और निश्चित तौर पर आप लोग को समझ में आ जाएगा ।

Mahapran vyanjan kya hai ? महाप्राण व्यंजन क्या है ?

जब वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से ज्यादा स्वास निकलती है और वर्णों का बोध होता है उसे महाप्राण व्यंजन कहते हैं ।
जैसे -ख, घ, छ, झ, ढ, ठ ,थ, फ, भ, श ,स ,ह
और यह महाप्राण व्यंजन अल्प प्राण व्यंजन के द्वारा ही बनता है। महाप्राण व्यंजन में वर्णों को उच्चारण करने के लिए मुख से ज्यादा स्वास निकलता है यहां महाप्राण व्यंजन से ही यह सिद्ध होता है कि महा का तात्पर्य ज्यादा से है।

ALPPRAN VYANJAN KYA HAI ? अल्प्राण व्यंजन क्या है ?

जब वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से बहुत कम स्वास निकलता है उसे अल्प्राण व्यंजन कहते हैं बहुत कम स्वास से मतलब जो वर्णों का उच्चारण करते समय उस वर्ण मैं ज्यादा ताकत नहीं लगता है और यह वर्ण ज्यादा लंबा नहीं होता है।
जैसे -क,ग,ड़,च,जो,ट,ड,च,तो,द,न,प,ब,म,य,र,ल,वह
इन सब वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से बहुत कम वायु निकलती है इसलिए इससे अल्पप्राण व्यंजन करते हैं।


अल्पप्राण व्यंजन से यह पता चल रहा है कि अल्प यानी की कम या आधा तो जब वर्णों का उच्चारण करते समय वर्ण छोटा लगे या इसका उच्चारण लंबा ना हो तब इसे इसको अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं ।

महाप्राण और अल्पप्राण एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत है व्याकरण में क्योंकि व्याकरण के अनुसार वर्णों का सही उच्चारण ही शब्दों का बोध कराता है इसीलिए महाप्राण और अल्पप्राण व्यंजन में वर्णों को विभाजित किया गया है महाप्राण जाने की शब्दों का लंबाई यहां लंबाई का मतलब वर्णों को खींचना होता है बढ़ाना होता है जो वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से बहुत ज्यादा वायु निकलता है परंतु अल्पप्राण महाप्राण से बिल्कुल विपरीत है अल्प्राण यानी काम आधा या वर्णों को कम खींचना। अल्पप्राण का उच्चारण करते समय वर्णों से बहुत कम मुख से वायु निकलती है उसे अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं।


देवनागरी लिपि में ही वर्णों का इतना खास ध्यान रखा जाता है बहुत सारे भाषाएं में तो वर्णों का और व्याकरण का ध्यान ही नहीं रखा जाता है परंतु देवनागरी लिपि में इस चीज का विशेष ध्यान दिया जाता है इसलिए यहां महाप्राण व्यंजन और अल्पप्राण व्यंजन ने विभाजित किया गया है|

यह देवनागरी लिपि में एक अव्वल दर्जा दिया गया है। तमिल जैसे भाषाओं में तो इस चीज का कोई भेद ही नहीं है और ना ही इस पर जिक्र किया गया है यहां पर अल्प्राण व्यंजन और महाप्राण व्यंजन दोनों एक समान सा लगता है और भी बहुत सारे भाषाएं ऐसी हैं जहां इस व्यंजनों का कोई विशेष ध्यान नहीं रखा जाता है।




Alappran vyanjan or mahapran vyanjan me kya antar hai ? अल्पप्राण व्यंजन और महाप्राण व्यंजनों का अंतर:-

अल्पप्राण व्यंजन

● वर्णों का उच्चारण करते समय स्वास बहुत कम निकलती है।
● वर्णों को बोलते समय इसे ज्यादा नहीं खींचना पड़ता है।
● अल्प्राण व्यंजन में वर्णों को बोलने के लिए ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ता है।
● अल्प्राण व्यंजन --क,ग,ड़,च,जो,ट,ड,च,तो,द,न,प,ब,म,य,र,ल ।
● इसमें ह कार जैसी ध्वनि नहीं निकलती है।
● सभी स्वर वर्ण और प्रत्येक वर्ग का 1ला ,3रा और 5वां वर्ण तथा समस्त अंतस्थ वर्ण अल्प प्राण है।


महाप्राण व्यंजन

● वर्णों का उच्चारण करते समय मुख से वायु ज्यादा निकलता है।
● वर्णों को बोलते समय वर्णों को ज्यादा खींचना पड़ता है।
● महाप्राण व्यंजन को बोलने के लिए वर्णों का उच्चारण करने में जो लगाना पड़ता है।
● महाप्राण व्यंजन --ख, घ, छ, झ, ढ, ठ ,थ, फ, भ, श ,स ,ह।
● इसमें ह कार जैसी ध्वनि होती है।
● प्रत्येक वर्ग का 2रा और 4था तथा समस्त उष्म वर्ण महाप्राण है।

Devnagri Lipi . देवनागरी लिपि:-

देवनागरी में लिखें ऋग्वेद की पांडुलिपि देवनागरी एक लिपि है जिसमें अनेक भारतीय भाषाएं तथा कई विदेशी भाषाएं भी लिखी जाती है और यह देवनागरी लिपि बाएं से दाएं क्यों लिखी जाती है देवनागरी लिपि की अपनी एक पहचान है इसमें एक क्षैतिज रेखा है जिसको हम लोग शिरिरेखा कहते हैं।

देवनागरी लिपि में बहुत सारी भाषाएं सम्मिलित है एवं उनको अलग-अलग भाषाएं के माध्यम से लिखी जाती है जैसे संस्कृत पाली मराठी हिंदी नेपाली कश्मीरी डोंगरी सिंधी कोंकणी संथाली मैथिली भोजपुरी आदि भाषाएं देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। देवनागरी लिपि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा लिखी जाती है।

Hindi vyakaran swar or vyanjan varn. हिंदी व्याकरण स्वर और व्यंजन वर्ण:-

हिंदी में व्याकरण की दृष्टि से स्वर और व्यंजन वर्णों का समावेश है स्वर के माध्यम से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन वर्ण कहलाता है। और इसी व्यंजन के आधार पर अल्पप्राण व्यंजन और महाप्राण व्यंजन को विभाजित किया गया है। हिंदी में व्याकरण को उच्च स्थान प्राप्त है इसलिए व्याकरण का इस पर बहुत जोर करता है व्याकरण के माध्यम से भाषा में अच्छी पकड़ और भाषा को प्राण मिलता है भाषा की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए उसको और आकर्षित बनाने के लिए व्याकरण के काफी जरूरत है।

Bhasa vigyan . भाषा विज्ञान:-

भाषा विज्ञान भाषा के अध्ययन की वह शाखा है इसके माध्यम से भाषा की उत्पत्ति भाषा की सृष्टि भाषा का विकास एवं भाषा से संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाता है। भाषा विज्ञान भाषा के शब्द अर्थ पर विचार करता है।

Conclusion

दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को इस आर्टिकल को पढ़ने में आनंद आया होगा एवं अल्पप्राण एवं महाप्राण व्यंजनों की अच्छी समझ आ गई होगी अगर इस आर्टिकल को लिखने में मुझसे कुछ त्रुटि हुई है तो मैं दिल से क्षमा चाहता हूं हम इस आर्टिकल में इतना ही विचार विमर्श करते हैं आप लोग इसी तरह का और आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे इस साइट मैं जुड़ सकते है धन्यवाद !