कारक किसे कहते हैं ? कारक की परिभाषा ,भेद और उदाहरण। कर्ता , करण कारक को याद करने का तरीका।
Saturday 6 March 2021 Premchand Hansda
कारक किसे कहते हैं ? कारक के भेद , उदहारण सहित , याद करने का तरीका। हम जानेंगे की कारक क्या है ? करक के कितने भेद हैं ? कर्ता कारक क्या है ? कर्म करक क्या है ? करण कारक क्या होता है ? उदहारण सहित जानेंगे और इन्हे याद करने का आसान तरीका भी जानने की कोशिश करेंगे। करके याद करने का ट्रिक जानने के लिए पूरा पढ़ें -
कारक की परिभाषा क्या है (karak ki paribhasa kya hai ? )
कारक का अर्थ होता है किसी भी कार्य को करने वाला। यानी जो भी क्रिया को करने में भूमिका निभाता है वह कारक कहलाता है।
या, संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उनका क्रिया से संबंध सूचित हो उसे कारक कहते हैं।
कारक के उदहारण -
- मैं खाना खाता हूँ
- वह रोज सुबह स्कूल जाता है।
- ऋषभ किताब पढ़ता है
कारक के भेद। ( KAARAK KE BHED )
कारक के कुल 8 भेद है । और इसी के आधार पर कारक को उपयोग किया जाता है कारकों के बाद के लिए संज्ञा या सर्वनाम के आगे जो प्रत्यय लगाए जाते हैं उन्हें विभक्ति कहते हैं।
विभक्ति से बने शब्द रूप को पद कहते हैं।
कारक के आठ भेद निम्नलिखित हैं -
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कारकों की विभक्ति के चिन्ह।
सभी कारकों के भेद के लिए अलग-अलग चिन्ह होते हैं , तो हम यहाँ आपको कारकों के लिए चिन्ह बता रहे हैं और उन्हें याद करने का तरीका भी बताएँगे -
- कर्ता (प्रथमा विभक्ति) – ने
- कर्म (द्वितीया) – को
- करण (तृतीया) – से, के द्वारा
- सम्प्रदान (चतुर्थी) – के लिए, को (सहायतार्थ देने मे)
- आपदान (पंचमी) – से (अलगाव मे)
- सम्बन्ध (षष्टी) – का, के, की, रा, रे, री
- अधिकरण (सप्तमी) – मे, पर
- संबोधन (अष्ठमी) – हे!, अरे!,अजी,अहो
कारकों को याद करने का तरीका , कारकों के चिन्हो को याद करने का तरीका
दोस्तों अब हम आपको कारकों को याद करने का ट्रिक बताएँगे , हम बताएँगे की कैसे आप तुरंत करक विभक्तियों के चिन्हों को याद करें और उसे फिर कभी नहीं भूलेंगे -
कारक चिन्हो को याद करने का ट्रिक -
आपको करक चिन्हों को याद करने के लिए इस वाक्य को पढ़ना होगा और उसे दो तीन बार पढ़ें जिससे आपको यह वाक्य याद हो जाये , फिर आपको कारक के भेद सहित चिन्ह भी याद हो जायेंगे -
"कर्ता " ने "कर्म" को "करण " द्वारा " सम्प्रदान" के लिए " अपादान" से "सम्बन्ध" का " अधिकरण" पर " सम्बोधन" हे!
कारक के भेदों के परिभाषा और उनके उदहारण।
1. कर्ता कारक
कर्ता कारक क्या है ?
परिभाषा
- वाक्य में जो शब्द काम करने वाले के अर्थ में आता है उसे कर्ता कहते हैं।
कर्ता कारक की विभक्ति क्या है ?
- कर्ता कारक की विभक्ति 'ने' है।
उदहारण :
1 . राम ने खाना खाया।
-इस वाक्य में राम खाने का काम करता है अतः यहां कर्ता राम है।
2.प्रेम ने किताब पढ़ा।
3 . रितिक रांची जा रहा है।
4. मैंने पानी पिया।
5 . रमेश ने खाना बना लिया होगा।
2. कर्म कारक
कर्म कारक क्या है?
परिभाषा
वाक्य में क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है उसे कर्म कहते हैं।
कर्म कारक की विभक्ति क्या है ?
इसकी विभक्ति 'को' है।
--बिना प्रत्यय के या प्रत्यय कर्म के कारक का भी प्रयोग होता है।
बहुत सारे कर्मों के साथ विभक्ति लगती है जैसे बुलाना, घोषणा, डांटना, पुकारना, मनाना, जगाना इत्यादि।
उदहारण :
1. मैंने रमेश को बुलाया।
2. पुत्र ने पिता का पुकारा।
3. लोगों ने चोर को पकड़ा।
4. किसानों ने मेहनत करके अनाज उगाया।
3. करण कारक
करण कारक किसे कहते है ?
परिभाषा
- वाक्य के जिस शब्द से क्रिया के संबंध का बोध हो उसे कारण कारण कारक कहते हैं।
करण कारक की विभक्ति क्या है ?
-इसकी विभक्ति से है।
सरल शब्दों में करण कारक की व्याख्या करें तो यह पता चलता है कि जो शब्द में क्रिया का बोध हो उसे करण कारक कहते हैं इसमें क्रिया का मूल विशेषता है जैसे वह कुल्हाड़ी से वृक्ष काटता है यहां "से" के कारण कुल्हाड़ी और वृक्ष का संबंध दर्शाता है।
उदहारण :
1. वह घोड़े से गिर गया।
2. मैं अपनी मेहनत से खाना खाता हूं।
3. साधुओं की संगति से बुद्धि सुधरती है।
4. लड़का प्यास से मर रहा है।
4 . संप्रदान कारक
सम्प्रदान कारक किसे कहते है ?
परिभाषा
- जिसके लिए कुछ किया जाए या जिसको कुछ दिया जाए, इसका बोध कराने वाले शब्द के रूप को संप्रदान कारक कहते हैं।
सम्प्रदान कारक की विभक्ति क्या है ?
इसका विभक्ति "को" है।
कर्म और संप्रदान का एक ही विभक्ती प्रत्यय है "को"पर दोनों के अर्थों में अंतर है संप्रदान का "को" लिए अव्यय के स्थान पर या उसके अर्थ में प्रयुक्त होता है परंतु कर्म के "को" के लिए अर्थ से कोई संबंध नहीं है।
उदहारण :
1. राम मोहन को मारता है।
2. उसके लड़के को बुलाया।
3. उसने लड़कों को गालियां दी।
4. मोहन हरि को रुपए देता है।
5 . अपादान कारक
अपादान कारक किसे कहते है ?
परिभाषा
संज्ञा के जिस रुप से किसी वस्तु के अलग होने का भाव प्रकट होता है उसे अपादान कारक कहते हैं।
अपादान कारक की विभक्ति क्या है ?
अपादान कारक का भी विभक्ति चिन्ह 'से' होता है। यहाँ ' से ' का मतलब किसी चीज़ से अलग होना दिखाने के लिए प्रयुक्त होता है।
"जिस शब्द में अपादान की विभक्ति लगती है उसे किसी दूसरे वस्तु के पृथक होने का बोध होता है यहां अपादान कारक "से" से जुड़ा हुआ है यानी यहां से दो वस्तुओं को आपस में जोड़ता है जैसे वह गाड़ी से घर गया यहां करता को से के माध्यम से संबोधित किया।"
उदहारण :
1. गंगा हिमालय से निकलती है।
2. रमेश ने घड़े से पानी ढाला।
3. राम घर से बाहर आया।
4. बिल से चूहा बाहर निकला।
6. संबंध कारक
संबंध कारक किसे कहते है ?
परिभाषा
-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से किसी अन्य शब्द के साथ संबंध या लगाव प्रतीत हो, उसे संबंध कारक कहते हैं।
संबंध कारक की विभक्ति क्या है ?
संबंध कारक का विभक्ति चिन्ह "का" है। वचन और लिंग के अनुसार इसकी विकृति 'के' और 'की' है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो संबंध कारक दो शब्दों को जोड़ता है जैसे राम की किताब श्याम का घर इसमें दो अलग-अलग कर्ता है और इन दोनों को आपस में संबंध बनाया गया है इसी को संबंध कारक करते हैं।
उदहारण :
1. श्याम का घर, राम की किताब।
2. पांच रूपए का घी, एक रूपए का चावल।
3. सोने का गाना, चांदी की थाली।
4. भारतेंदु के नाटक।
5 . प्रेमचंद के उपन्यास।
7. अधिकरण कारक
अधिकरण कारक किसे कहते है ?
परिभाषा
-क्रिया या आधार को सूचित करने वाली संज्ञा या सर्वनाम के रूप को अधिकरण कारक कहते हैं ।
अधिकरण कारक की विभक्ति क्या है ?
-इसकी विभक्ति में और पर होती है।
"अधिकरण कारक जब क्रिया या आधार को सूचित करने वाले संज्ञा या सर्वनाम निकल कर आता है उसे अधिकरण कारक कहते हैं। जैसे तुम्हारे घर पर चार आदमी है यहां पर घर पर यानी घर में से संबंध है। दुकान पर कोई नहीं था यहां दुकान में से संबंध है।"
उदाहरण:
1. बाहर लड़के दरवाजे- दरवाजे घूम रहे हैं।
2. जिस समय आया था, उस समय में नहीं था।
3. वह दोपहर समय नदी में स्नान करता है।
4. जब मैं गाड़ी में था तब ट्रैफिक जाम था।
8. संबोधन कारक
सम्बोधन कारक किसे कहते हैं ?
परिभाषा
-संज्ञा के जिस रुप से किसी के पुकारने या संकेत करने का भाव पाया जाता है उसे संबोधन कारक कहते हैं।
सम्बोधन कारक की विभक्ति क्या है ?
सम्बोधन कारक के अरे, हे, अजी आदि विभक्ति चिन्ह होते हैं।
"संबोधन कारक किसी विशेष चीजों को संबोधित करती है। जैसे हे भगवान! मेरी रक्षा करो। इसमें किसी को पुकारना यह संकेत देना उनके भाव से पता चलता है इसी को संबोधन कारक कहते हैं।"
उदहारण :
1. हे भगवान।
2. अरे यह क्या हो गया?
3. हाय रे हाय!
4. अजी सुनते हो!
Conclusion
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आप लोग कारक को बहुत ही अच्छी तरह से समझ गए होंगे। अगर इस आर्टिकल को लिखते समय मुझसे कुछ भी त्रुटि हुई है तो मैं तहे दिल से क्षमा चाहता हूँ । आप इसी तरह का आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग पर विजिट कर सकते हैं और आप लोगों को कुछ भी आर्टिकल पढ़ने का हो तो हमारी साइट पर कमेंट करके बता सकते हैं , हम पूरी कोशिश करेंगे आपको जवाब देने और आपकी द्वारा दी गई प्रश्न को हम पूरा करने का पूर्ण कोशिश करेंगे। धन्यवाद!!!